Monday, November 28, 2022

53वें इफ्फी का समापन ... यदि फिल्‍में प्रेम को संवर्धित करती हैं, तो उन्‍हें बनाना जारी रखिए ..


azadi ka amrit mahotsav

53वें इफ्फी का समापन ... यदि फिल्‍में प्रेम को संवर्धित करती हैं, तो उन्‍हें बनाना जारी रखिए ..


53वें इफ्फी में कोस्टा रिका की फिल्मकार वेलेंटीना मौरेल की स्पेनिश फिल्म 'आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स' ने गोल्डन पीकॉक जीता

मेगास्टार चिरंजीवी को इंडियन फिल्म पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर अवार्ड 2022 से नवाजा गया

 ‘हमारा लक्ष्य भारत में उत्‍कृष्‍ट फिल्मांकन परिवेश और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप उद्योग का निर्माण करना है’: सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर

53वें इफ्फी में स्पेनिश फिल्म निर्देशक कार्लोस सौरा को सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया

Posted On: 28 NOV 2022 9:29PM by PIB Delhi

"जब पहले-पहल भारत में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव आयोजित करने का प्रस्ताव रखा गया, तो एक प्रश्न जो अक्सर पूछा जाता था: इस उत्सव का उद्देश्य क्या है, यह किस प्रयोजन को पूरा करेगा? इसके उत्तर के दो भाग थे: पहला, फिल्म महोत्सव जिस देश में आयोजित होता है, वह वहां के दर्शकों को महोत्‍सव में भाग लेने वाले सभी फिल्म-निर्माता देशों में निर्मित बेहतरीन फिल्‍में देखने में सक्षम बनाता है; दूसरा, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव प्रतिभागी देशों के मोशन-पिक्चर उद्योगों में संलग्‍न लोगों को आपस में मिलने तथा समान सरोकारों के बारे में चर्चा करने, कला के इस स्‍वरूप के क्षेत्र में हुई प्रगति के बारे में नोट्स की तुलना करने और भावी विकास की योजना बनाने का अवसर प्रदान करता है”।

अब, जबकि भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, इफ्फी के 53वें संस्करण का समापन हो रहा है, तो हम 1952 में, तत्‍कालीन बम्‍बई में आयोजित इफ्फी के पहले संस्करण की आयोजन समिति के अध्यक्ष सी. एम. अग्रवाला के उपरोक्त कथन को याद कर रहे हैं। उन्होंने यह बात 24 जनवरी, 1952 को दिए गए अपने स्वागत भाषण के दौरान कही थी।

गोवा में तलेगाओ के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम में आज, 28 नवम्‍बर, 2022 को 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का भव्य समापन हुआ।

सर्वोत्‍कृष्‍ट का सम्‍मान

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इस महोत्सव की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक पुरस्‍कार स्पेनिश फिल्म टैंगो सुएनोस इलेक्ट्रिक /आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स  ने जीता है। ज्‍यूरी के अनुसार यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें सिनेमा के वर्तमान और भविष्य को पर्दे पर पेश किया गया है। कोस्टा रिका की फिल्मकार वेलेंटीना मौरेल द्वारा निर्देशित इस फिल्म में 16 वर्षीया लड़की ईवा के वयस्क होने का अद्भुत चित्रण किया गया है। यह केवल उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से संबद्ध नहीं है, बल्कि यह एक अत्‍यंत गहन प्रक्रिया है,जो अक्‍सर व्‍यक्ति को अंदर से एक तरह से पूरी तरह तोड़ सकती है।

ईरानी लेखक और निर्देशक नादेर सैइवर को “नो एंड” के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया है। यह फिल्म ईरान की प्रतिगामी सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था का चमत्‍कारिक और सूक्ष्म चित्रण है। ईरान की खुफिया पुलिस की चालाकी और चालबाजी को दर्शाने वाली तुर्की की फिल्म, नो एंड/बी पायन, में अयाज की कहानी का चित्रण है, जो एक ईमानदार व्यक्ति है और जो अपने घर को बचाने की कोशिश में एक झूठ के कारण खुफिया पुलिस के चक्‍कर में पड़ जाता है। जब असली खुफिया पुलिस सामने आती है, तो हालात और भी जटिल हो जाते हैं।

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नो एंड' के मुख्य अभिनेता वाहिद मोबासेरी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष) के सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया। उन्‍हें यह सम्‍मान नायक को तकलीफ पहुंचाने वाली भावनाओं की जटिल अभिव्‍यक्ति के लिए दिया गया । सर्वश्रेष्ठ फिल्म 'आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स' की मुख्य अभिनेत्री डेनिएला मार्न नवारो को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला) के लिए सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया

53वें इफ्फी का स्पेशल ज्यूरी अवार्ड फिलीपीन्स के फिल्मकार लाव डियाज को व्हेन द वेव्स आर गॉन के लिए दिया गया है। यह फिल्म फिलीपींस में एक अन्वेषक की कहानी है, जो गहरे धर्मसंकट में है। यह फिल्म उसके स्‍याह अतीत की चर्चा करती है। गहन चिंता और अपराधबोध से युक्‍त सुधरने की उसकी कोशिशों के बावजूद यह अतीत उसका पीछा नहीं छोड़ता।

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इफ्फी ने एथेंस की निर्देशक असिमिना प्रोएड्रो को फिल्म बिहाइंड द हेस्टैक्स  के लिए निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फीचर फिल्म के पुरस्कार से सम्मानित किया। इस महोत्सव में इस फिल्म का अंतरराष्ट्रीय प्रीमियर हुआ था। यह कहानी दर्शकों को एक ऐसे व्यक्ति, उसकी पत्नी और उसकी बेटी की यात्रा में भाग लेने के लिए आमंत्रित करती है, जिन्हें संकट आने पर पहली बार अपने कर्मों की कीमत अदा करने के लिए सामना करना पड़ रहा है।

 

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भारतीय निर्देशक, लेखक और सिनेमैटोग्राफर प्रवीण कंद्रेगुला को उनकी फिल्म सिनेमा बंदी के लिए ज्‍यूरी का विशेष उल्‍लेख सम्मान प्राप्त हुआ है, जो एक गरीब और संघर्ष कर रहे ऑटो चालक की कहानी है, जिसे कहीं एक महंगा कैमरा मिल जाता है, जो उसे ऑटो-चालक से फिल्म निर्माता बनने की यात्रा पर ले जाता है।

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पायम असकंदरी द्वारा निर्देशित ईरानी फिल्‍म नारगेसी  आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी अवार्ड से सम्‍मानित

पायम असकंदरी द्वारा निर्देशित ईरानी फिल्‍म नारगेसी  को आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी अवार्ड से सम्‍मानित किया गया है। यह सम्‍मान महात्मा गांधी के शांति, सहिष्णुता और अहिंसा के आदर्शों को उत्‍कृष्‍ट रूप से दर्शाने वाली फिल्‍म को दिया गया है। यह फिल्म डाउन सिंड्रोम से पीड़ित एक व्यक्ति और इसके कारण उसके जीवन में पैदा होने वाली समस्याओं और परिणामों के बारे में है। इस पुरस्कार विजेता फिल्म में दो गुण -करुणा और कोमलता दर्शाए गए हैं।

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अपने वर्चुअल संदेश में निर्देशक पायम असकंदरी ने इफ्फी की ज्यूरी के सदस्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "यह पुरस्कार प्राप्त करना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है, मैं उन लोगों को, विशेष रूप से अपने परिवार – अपनी प्यारी पत्नी और नारगेसी के सभी कलाकारों और क्रू को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने इस फिल्म के निर्माण के लिए मुझ पर विश्वास किया।"निर्देशक ने कहा कि उन्‍हें लगता है कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोग देवदूत होते हैं और उनके जीवन के बारे में अनेक कहानियां हैं, जिन्‍हें सुना जाना चाहिए।

इस वर्ष, आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक की प्रतिस्पर्धा के लिए दुनिया भर से नौ फिल्मों का चयन किया गया था।

अभिनेता निर्माता चिरंजीवी कोनिदेला को  इंडियन फिल्म पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर अवार्ड 2022 से नवाजा गया

चिरंजीवी के नाम से विख्‍यात टॉलीवुड के मेगास्टार और पद्म भूषण से अंलकृत कोनिदेला शिव शंकर वरा प्रसाद को आज गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के 53वें संस्करण के समापन समारोह में 'इंडियन फिल्म पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर अवार्ड 2022' प्रदान किया गया।

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इस सम्मान के लिए इफ्फी, भारत सरकार और प्रधानमंत्री को धन्यवाद देने के अलावा चिरंजीवी ने अपने माता-पिता और तेलुगु फिल्म उद्योग के प्रति भी आभार व्यक्त किया। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद चिरंजीवी ने उन्हें मिले समर्थन और अनुभव के लिए सरकार और फिल्म उद्योग का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मैं अपना सिर झुकाता हूं और आप में से हर एक को धन्यवाद देता हूं। अगर किसी के मन में सिनेमा उद्योग में आने की ख्वाहिश है तो इसमें जरूर आए। ये एक भ्रष्टाचार -मुक्‍त  पेशा है। आपको कभी कोई अपराध बोध नहीं होगा। अगर आपके पास प्रतिभा है, तो आप यहां दिखा सकते हैं और आप बहुत ऊंचाई तक पहुंचेंगे।”

यह घोषणा केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने इफ्फी के 53वें संस्करण के भव्य उद्घाटन के मौके पर की।

‘हमारा लक्ष्य भारत में उत्‍कृष्‍ट फिल्मांकन परिवेश और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप उद्योग का निर्माण करना है’:  सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा कार्य व खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इफ्फी ने समस्‍त क्षेत्र के दर्शकों, युवाओं और बुजुर्गों दोनों, नए प्रतिनिधियों और महोत्सव के दिग्गजों के लिए सिनेमा की बारीकियों से भरी अद्भुत दुनिया पूरी तरह से उद्घाटित की। उन्होंने कहा, ‘इफ्फी ने न सिर्फ हमारा मनोरंजन किया, बल्कि हमारा ज्ञान भी बढ़ाया। इफ्फी ने हमारे हास्य को गुदगुदाया और हमारे अनुभवों को अभि‍भूत कर दिया।’

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उन्‍होंने कहा, ‘“पिछले नौ दिनों में इफ्फी में कुल मिलाकर 35000 मिनट व्‍यूइंग टाइम के साथ 282 फिल्में दिखाई गईं। इस महोत्सव में दुनिया भर के 78 देशों की 183 अंतर्राष्ट्रीय फिल्में और 97 भारतीय फिल्में दिखाई गईं। ये फिल्‍में 65 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं और 15 भारतीय भाषाओं में दिखाई गईं। 20 से अधिक मास्टरक्लास, इन-कन्‍वर्सेशन सत्र और प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों से संबद्ध अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें से अनेक सत्र केवल वास्‍तविक रूप में ही नहीं, बल्कि आभासी रूप से भी सुलभ थे।” श्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘इफ्फी में प्रदर्शित विविधता ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की जीवंत अभिव्यक्ति है, जिसने दुनिया भर के रचनात्मक विचारकों, फिल्मकारों, सिनेमा प्रेमियों और संस्कृति‍ प्रेमियों को एक मंच प्रदान किया।’

क्षेत्रीय सिनेमा अब क्षेत्रीय नहीं रहा : केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर

मंत्री महोदय ने क्षेत्रीय सिनेमा पर विशेष जोर देने और इसकी प्रगति के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सिनेमा अब क्षेत्रीय नहीं रह गया है, बल्कि यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हो गया है। उन्होंने कहा, ‘इस साल हमने आरआरआर, केजीएफ जैसी कई अन्य फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराते देखा। हाल ही में हमारे यहां बांग्लादेश और मध्य एशियाई देशों से एक प्रतिनिधिमंडल आया था जिसमें 80 से भी अधिक युवा शामिल थे। वे केवल हिंदी फिल्मी गाने और क्षेत्रीय फिल्मी गाने सुनना चाहते थे। उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के दौर से लेकर अक्षय कुमार और चिरंजीवी तक की फिल्मों के बारे में चर्चा की, जो सीमाओं को मिटाती हैं। यदि कंटेंट दमदार है, तो यह किसी क्षेत्र विशेष की सीमा तक ही सीमित नहीं रहता है।”

इफ्फी भारत का महान दूत है: गोवा के मुख्‍यमंत्री प्रमोद सावंत

53वें इफ्फी के समापन समारोह में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इफ्फी भारत का महान दूत है। उन्होंने महोत्सव के सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने 'ब्रांड गोवा' को 'ब्रांड इफ्फी' का पर्याय बना दिया है।

उन्होंने कहा कि पूरा गोवा राज्य एक प्राकृतिक सेट, सुरम्‍य सुंदरता और मेहमाननवाज लोगों से सुक्‍त एक फिल्म सिटी है। गोवा के लोग कला, संस्कृति और संगीत से प्यार करते हैं। एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के नाते, गोवा राज्य ने व्यंजन, भाषा और जीवन शैली में विविधता के साथ कॉस्‍मोपोलिटन आउटलुक प्राप्त कर लिया है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अतिथियों को यादगार अनुभव प्रदान करने के लिए हर साल फिल्म महोत्सव के लिए सर्वोत्तम व्यवस्था करने का प्रयास करती है। इसके अलावा वह हर साल महोत्सव में नए आयाम जोड़ने का भी प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि इससे  फिल्म बिरादरी और जनता के बीच जुड़ाव और बढ़ेगा और दर्शकों का एक समूह भी तैयार होगा जो स्क्रीन पर प्रदर्शित दृश्‍यों से परे फिल्मों के पहलुओं से अवगत है।

उन्होंने दिव्यांगजनों  के लिए एक विशेष खंड के तहत विशेष स्क्रीनिंग सुविधाओं की व्‍यवस्‍था करने में सक्षम होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। मुख्‍यमंत्री ने बताया कि इस वर्ष उत्सव में 12,000 से अधिक प्रतिभागियों के पंजीकरण हुए। उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान और कला के विभिन्न स्‍वरूपों का उत्‍सव मनाता है और यह देश विश्‍व बंधुत्‍व (वसुधैव कुटुम्बकम) के दर्शन में भी विश्वास करता है और इसलिए गोवा हर साल वैश्विक प्रतिनिधियों को आकर्षित करता है।

उन्होंने कहा कि गोवा एमआईसीई (यानी मीटिंग्‍स, इंसेंटिव्‍स, कांफ्रेंसिज और एक्‍जीबिशन्‍स ) टूरिज्‍म  के लिए गंतव्य के रूप में भी उभर रहा है। उन्होंने गोवा में जी-20 शिखर सम्मेलन, विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और पर्पल फेस्ट जैसे आगामी अंतर्राष्‍ट्रीय  कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए सभी को निमंत्रण दिया।

भारतीय सिनेमा की नामचीन हस्तियों ने समापन समारोह को भव्‍यता प्रदान की और गौरव बढ़ाया

मशहूर फिल्मी हस्तियों आशा पारेख, अक्षय कुमार, प्रसेनजीत चटर्जी, आयुष्मान खुराना, ईशा गुप्ता, मानुषी छिल्लर और शरमन जोशी को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर, गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत और को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन ने सम्मानित किया।

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वरिष्‍ठ अदाकारा आशा पारेख ने कहा कि उनकी पहली फिल्म 'दिल देके देखो' की रिलीज उनके करियर का अब तक का सबसे अच्छा पल है। उन्‍होंने कहा,  "मुझे आज की हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियों में दीपिका पादुकोण सबसे ज्यादा पसंद हैं"।

अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा की कि गोवा एक ऐसी जगह है जहां हर फिल्म उद्योग का व्यक्ति आना  चाहता है!

बंगाली फिल्म उद्योग के प्रमुख अभिनेता प्रसेनजीत चटर्जी ने कहा कि हर कोई इफ्फी  का इंतजार करता है क्योंकि यह अच्छे सिनेमा का मंच है। गोवा में होने के बारे में उन्होंने कहा कि वह जब भी गोवा में होते हैं तो यहां से अच्छी यादें लेकर जाते हैं.

बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना ने कहा, "मैंने जो भी सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे उठाए हैं, वह अपनी फिल्मों के जरिए उठाए हैं।"

दक्षिण भारत के प्रमुख अभिनेता रामानायडू 'राणा' दग्गुबाती ने सिनेमा के भविष्य के बारे में बात की। उन्होंने कहा, " हो सकता है कि भविष्य में हमारे पास सिर्फ 2डी सिनेमा ही न हो, बल्कि कोई न कोई इंटरैक्टिव  फॉर्म हो।" इफ्फी के बारे में उन्होंने कहा, ''आज के बदलते स्‍वरों के साथ, महोत्‍सव  स्वतंत्र आवाजों के प्रोत्‍साहन के लिए इकोसिस्‍टम तैयार करते हैं।

फौदा

नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराही जा रही इज़राइली टेलीविजन सीरीज फौदा की टीम को समारोह के दौरान केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर द्वारा सम्मानित किया गया।इस  सीरीज को लियोर रज़ और एवी इस्साकारॉफ ने बनाया है, जो इज़राइल के सुरक्षा बलों में अपने अनुभवों को चित्रित करते हैं।

एवी इस्साकारॉफ ने कहा कि यह बड़े सम्मान की बात है कि इफ्फी में रविवार को फौदा सीजन 4 का प्रीमियर हुआ। लियोर रज़ ने कहा कि वे भारत के लोगों से जुड़ाव महसूस करते हैं और यह जानकर बहुत अच्छा लगता है कि फौदा को भारतीय देखते हैं और प्यार करते हैं।

भारत में इस्राइल के राजदूत नोर गिलॉन ने कहा, "हम इस्राइली भारतीय फिल्म उद्योग को देखकर बड़े हुए हैं।" उन्होंने कहा कि इजरायल की फिल्म इंडस्ट्री भारत के मुकाबले बहुत छोटी है। उन्होंने कहा कि फौदा सीरीज और कुछ अन्य के भारत में लोकप्रिय होने से इज़राइल स्‍वयं को प्रतिष्ठित महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस्राइली भारतीय फिल्मों की विविधता को पसंद करते हैं।

प्रतिभाशाली  फिल्म निर्माता सत्यजीत रे पर समारोह के दौरान, 'द वन एंड ओनली रे' नामक एक ऑनलाइन पोस्टर डिजाइन प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा की गई और उन्हें पुरस्कार प्रदान किए गए। ज्‍यूरी को 635 प्रविष्टियां मिलीं और उनमें से 75 पोस्टर और तीन विजेताओं का चयन किया गया। प्रथम पुरस्कार शायक दास ने हासिल किया। दूसरा और तीसरा स्थान क्रमशः वरद गोडबोले और अनिरुद्ध चटर्जी को मिला। विजेताओं को क्रमश: एक लाख, पचहत्तर हजार और पचास हजार रुपये का नकद पुरस्कार मिला है।

गोवा के प्रधान सचिव पुनीत कुमार गोयल, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में संयुक्त सचिव (फिल्म) पृथुल कुमार और एनएफडीसी के एमडी रविंदर भाकर ने टेक्‍नीकल पार्टनर्स क्यूब सिनेमाज, सिनियोनिक, पुल्ज़ इलेक्ट्रॉनिक्स और एसएमपीटीई को सम्मानित किया।

एनएफडीसी के एमडी रविंदर भाकर ने धन्यवाद ज्ञापन ज्ञापित करते हुए कहा कि इफ्फी वसुधैव कुटुंबकम की भावना में विश्वास करता है और इस संस्करण में दिव्यांगजनों के लिए सुलभ और समावेशी सिनेमा सेक्शन को शामिल करके इसे और मजबूत किया गया। उन्‍होंने  कहा कि महोत्सव में नारी शक्ति की छाप स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर रही, क्योंकि 75 क्रिएटिव माइंड्स प्रतियोगिता में 40 प्रतिशत से अधिक महिला फिल्म निर्माताओं ने भाग लिया, प्रतियोगिता खंड में 66 प्रतिशत फिल्में महिला फिल्म निर्माताओं की थीं और महोत्सव के कार्यबल में एक बड़ा हिस्सा महिलाओं का रहा ।

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक, गोवा विधानसभा के सदस्य, इफ्फी  संचालन समिति के सदस्य और ज्‍यूरी के सदस्य और फिल्मी हस्तियां उपस्थित थीं। वरिष्‍ठ निर्देशक रमेश सिप्पी और अभिनेत्री खुशबू सुंदर भी मौजूद थीं।

53वें इफ्फी की मुख्य झलकियां

प्रसिद्ध स्पेनिश फिल्म निर्देशक कार्लोस सौरा को 53वें इफ्फी  में सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया

अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में उनके अपार योगदान के लिए सम्‍मानित करने हेतु स्पेनिश फिल्म निर्देशक कार्लोस सौरा को सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। एक वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी स्वीकृति प्रकट करते हुए कार्लोस सौरा ने ब्रोंकाइटिस के कारण गोवा में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने में असमर्थ रहने पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने इस सम्मान से नवाजे जाने के लिए महोत्सव के आयोजकों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता और प्रेम व्यक्त किया है।

कार्लोस सौरा, बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्‍टीवल  (डेप्रिसा डेप्रिसा के लिए) में ला काज़ा और पेपरमिंट फ्रैपे के लिए दो सिल्वर बियर सहित  सर्वश्रे निर्देशक के लिए गोल्डन बियर; कारमेन के लिए बाफ्टा; और कान में तीन पुरस्कार, कई अन्य पुरस्‍कार प्राप्‍त कर चुके हैं । प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता की ओर से उद्घाटन समारोह में उनकी बेटी अन्ना सौरा ने पुरस्कार स्वीकार किया। 

'75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरोने 53वें इफ्फी में '53-ऑवर चैलेंजमें भाग लिया

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 53वें संस्करण में 18 से 35 आयु वर्ग के 75 युवाओं ने सरकार की '75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो' पहल के अंतर्गत विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। आने वाले कल की ये होनहार सिनेमाई प्रतिभाएं देश  के 19 राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, असम, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर , ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल से संबंधित थीं। सबसे अधिक चयनित विजेता महाराष्ट्र, इसके बाद तमिलनाडु और दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के हैं।

सबसे कम उम्र के विजेता हरियाणा के 18 वर्षीय नीतीश वर्मा और महाराष्ट्र के 18 वर्षीय तौफीक मंडल हैं, दोनों को संगीत रचना में उनकी प्रतिभा के लिए चुना गया है।

75 युवाओं को फिल्म निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों जैसे निर्देशन, अभिनय, सिनेमेटोग्राफी, संपादन, पटकथा लेखन, पार्श्व गायन, संगीत रचना, कास्‍ट्यूम और मेकअप, आर्ट डिजाइन एंड एनीमेशन, विज्‍युअल इफैक्‍ट्स (वीएफएक्स) अगमेंटेड रियलिटी(एआर) और वर्चुअल रियलिटी(वीआर) में उनकी उत्कृष्टता के आधार पर चुना गया है। इसमें 15 कलाकार निर्देशन श्रेणी से, 13 नवोदित अभिनेता और 11 संपादन के क्षेत्र से हैं।

इन 75 युवाओं ने 53वें इफ्फी में "53-आवर चैलेंज" में भी भाग लिया। प्रतियोगिता के तहत उन्हें अपने आइडिया ऑफ इंडिया@100 पर 53 घंटों के भीतर एक लघु फिल्म बनाने की चुनौती दी गई। 53वें इफ्फी का यह खंड शॉर्ट्स टीवी के सहयोग से राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम द्वारा संचालित किया गया।

एफटीआईआई की फिल्म प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में फिल्म जगत में नई संभावनाएं तलाशती प्रौद्योगिकी दर्शायी गई

इफ्फी 2022 के अंतर्गत भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) की ओर से फिल्म कला/सिनेमा और सौंदर्यबोध से संबंधित प्रौद्योगिकी और विभिन्न तत्वों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। 53वें इफ्फी में यह प्रदर्शनी मनोरंजन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनता की झलक पेश की गई। प्रदर्शनी में आने वाले फिल्म प्रेमियों को फिल्म कला और सौंदर्यबोध के संदर्भ में प्रौद्योगिकी के अंतर्संबंधों की जानकारी दी गई और यह भी दर्शाया जाएगा कि कैसे ये तत्व एक साथ आकर दर्शकों के अनुभव को समृद्ध करते हैं। इस प्रदर्शनी में सोनी, कैनन, रेड, लेईका, अल्टास, डीजेओ, एप्यूचर लाइट्स, हंसा सिने इक्विपमेंट आदि जैसे सिनेमा उपकरणों के अग्रणी निर्माताओं ने भाग लिया। प्रदर्शनी में समकालीन सिनेमा के निर्माण में फिल्‍म उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा उपयोग में लाए जा रहे अत्याधुनिक उपकरणों को प्रदर्शित किया गया।

 इफ्फी में आयोजित सीबीसी प्रदर्शनी में स्वतंत्रता आंदोलन का चित्रण

केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा "स्वतंत्रता आंदोलन और सिनेमा" विषय पर एक मल्टी-मीडिया डिजिटल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने किया। यह प्रदर्शनी सीबीसी टीम द्वारा 'आजादी का अमृत महोत्सव' की व्यापक थीम के आधार पर परिकल्पित है। 12 x 10 फुट की एक विशाल एलईडी स्क्रीन पर दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक 'स्वराज' की क्लिप प्रदर्शित की गई, जिसमें विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और औपनिवेशिक शासन के खिलाफ उनके योगदान को दर्शाया गया है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम, राजा राम मोहन राय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, कालापानी, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद को कवर करने वाले स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित दुर्लभ फुटेज प्रदर्शित किए गए।

53वें इफ्फी में मणिपुरी सिनेमा के 50 गौरवशाली वर्षों का जश्‍न

पूर्वोत्‍तर के आठ राज्‍यों में से एक और 'भारत का गहना' कहलाने वाला मणिपुर, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 53वें संस्करण में पूर्वोत्तर भारत की फिल्मों को बढ़ावा देने की दिशा में अग्रणी रहा। मणिपुरी सिनेमा की स्वर्ण जयंती के अवसर पर मणिपुर स्टेट फिल्म्स फिल्म डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा क्यूरेट की गई पांच फीचर और पांच गैर-फीचर फिल्मों को इंडियन पैनोरमा के अंतर्गत प्रदर्शित किया गया।

फिल्मों के गाला प्रीमियर

इफ्फी में पहली बार, भारतीय फिल्मों, विदेशी फिल्मों और ओटीटी प्लेटफार्मों से मूल श्रृंखलाओं के गाला प्रीमियर आयोजित किए गए जिनमें उनके कलाकार अपनी फिल्‍मों को समर्थन देने के लिए मौजूद रहे। इनमें परेश रावल की द स्टोरीटेलर, अजय देवगन और तब्बू की दृश्यम 2, वरुण धवन और कृति सेनन की भेडि़या और यामी गौतम की लॉस्ट  तथा तेलुगु फिल्म रेमो, दीप्ति नवल और कल्कि कोचलिन की गोल्डफिश और रणदीप हुड्डा और इलियाना डी'क्रूज की तेरा क्या होगा लवली का भी इफ्फी में प्रीमियर हुआ। इसके साथ ही वधांधी, खाकी और फौदा सीजन 4 जैसे ओटीटी शो का  एपिसोड प्रदर्शित किया गया।  

मुख्‍य आकर्षण वे फिल्में थीं, जिन्होंने कान, बर्लिन, टोरंटो और वेनिस जैसे दुनिया भर के प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में कई पुरस्कार जीते हैं। कुछ ऑस्कर विजेताओं द्वारा निर्देशित या प्रदर्शित  हैं। इन फिल्मों में पार्क-चान वूक की डिसीजन टू लीव और रुबेन ओस्टलुंड की ट्राएंगल ऑफ सैडनेस, डैरेन ओरोनोफ्स्की की द व्हेल और गिलर्मो डेल टोरो की पिनोकियो, क्लेयर डेनिस की बोथ साइड्स ऑफ द ब्लेड और गाइ डेविडी की इनोसेंस  की एलिस डिओप की सेंट ओमर और मरियम तौज़ानी की द ब्लू काफ्तान शामिल हैं।

'कंट्री ऑफ फोकस'

इस वर्ष 'कंट्री ऑफ फोकस' फ्रांस रहा। इस नाते एक पैकेज के तहत फ्रांस की आठ फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें इमैनुएल केयरे की 'बिटवीन टू वर्ल्ड्स' (ऑस्ट्रेहैम) की स्क्रीनिंग की गई।

होमेज सेक्शन: बीते दौर की हस्तियों का सम्‍मान

53वें इफ्फी के 'होमेज' खंड में पंद्रह भारतीय और पांच अंतर्राष्ट्रीय फिल्में शामिल थीं। भारत रत्न लता मंगेशकर, गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी, कथक उस्ताद पं. बिरजू महाराज, अभिनेता रमेश देव और महेश्वरी अम्मा, गायक केके, निर्देशक तरुण, श्री निपोन दास असमिया अभिनेता और थिएटर कलाकार, मजूमदार और गायक भूपिंदर सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। जबकि इंटरनेशनल खंड में महोत्‍सव में बॉब राफेलसन, इवान रीटमैन, पीटर बोगडानोविच, डगलस ट्रंबेल और मोनिका विट्टी को श्रद्धांजलि दी गई ।

फिल्म बाजार

'फिल्म बाजार' के अंतर्गत विभिन्न खंडों में कुछ बेहतरीन फिल्मों और फिल्मकारों को प्रदर्शित किया गया। इफ्फी में पहली बार मार्शे डु कान जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजारों की तर्ज पर पवेलियन बनाए गए। इस साल कुल 42 पवेलियन बनाए गए, जिनमें विभिन्न राज्य सरकारों, प्रतिभागी देशों, उद्योग से जुड़े लोगों और मंत्रालय की मीडिया इकाइयों के फिल्म कार्यालय थे।

राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) द्वारा सृजित और आयोजित फिल्म बाजार 2007 में अपनी साधारण शुरुआत से दक्षिण एशिया के वैश्विक फिल्म बाजार में विकसित हुआ है। प्रत्येक संस्करण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी में वृद्धि का साक्षी बना है। इन वर्षों में, लंच बॉक्स, मार्गरीटा विद अ स्ट्रॉ, चौथी कूट, किस्सा, शिप ऑफ थिसियस, तितली, कोर्ट, अन्हे घोड़े दा दान, मिस लवली, दम लगाके हईशा, लायर्स डाइस और तिथी जैसी फिल्में बाजार के एक या एक से अधिक कार्यक्रमों से होकर गुजरी हैं।

पांच दिनों की अवधि के दौरान फिल्म बाजार दुनिया भर के फिल्म खरीदारों और विक्रेताओं के लिए अभिसरण बिंदु बन जाता है। इसमें फोकस  फिल्म, निर्माण और वितरण में दक्षिण एशियाई कॉन्‍टेंट और प्रतिभा की खोज, सहायता और प्रदर्शन पर रहता है। बाज़ार दक्षिण एशियाई क्षेत्र में विश्व सिनेमा की बिक्री को भी सुगम बनाता  है।

 'बुक्स टू बॉक्स ऑफिस'

 एक नया पुस्तक अनुकूलन कार्यक्रम 'बुक्स टू बॉक्स ऑफिस' शुरू किया गया है। यह कदम पुस्तकों में छपी अच्छी कहानियों और किताबों को अनुकूलित करके बनाई जा सकने वाली अच्छी फिल्मों के बीच की खाई को पाटने की पहल के रूप में उठाया गया। स्क्रीन सामग्री में परिवर्तित की जा सकने वाली पुस्तकों के अधिकार बेचने के लिए कुछ बेहतरीन प्रकाशक इसमें उपस्थित रहे।

'मास्टरक्लासेज' और ‘इन-कन्वर्सेशन’ सत्र

53वें इफ्फी में 20 से अधिक ' मास्टरक्लासेज ' और इन-कन्वर्सेशन’ सत्र आयोजित किए गए, जिनमें आशा पारेख, वी. विजयेंद्र प्रसाद, ए.आर. रहमान, ए. श्रीकर प्रसाद, अनुपम खेर, प्रसून जोशी, आनंद एल राय, आर बाल्की, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और पंकज त्रिपाठी सहित अन्य प्रसिद्ध फिल्मी हस्तियों ने भाग लिया।

53वें इफ्फी में दिव्यांगजनों के लिए बेहतर अनुभव की पेशकश

महोत्‍सव को फिल्म के प्रति उत्साही दिव्यांगजनों के लिए अधिक समावेशी और सुलभ बनाने के लिए 53वें इफ्फी में दिव्यांगजनों के लिए विशेष खंड और विशेष शैक्षणिक सत्र आयोजित किए गए। दिव्यांगजन विशेष खंड इस वर्ष इफ्फी में सिनेमा को सभी के लिए समावेशी और सुलभ बनाने की दिशा में एक कदम है। इस खंड में, दिव्‍यांगजन दर्शकों के लिए फिल्‍म स्क्रीनिंग और स्थल के बुनियादी ढांचे, और प्रबंधन के प्रारूपों के संदर्भ में उनकी पहुंच संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फिल्म की समर्पित स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया था।

इस खंड की फिल्मों में उपशीर्षक के साथ-साथ ऑडियो विवरण भी शामिल किए गए। ऑडियो विवरण पर विशेष रूप से ऑडियो ट्रैक बनाए गए, फिल्म में दृश्य जानकारी का वर्णन करते हैं। इसके अलावा, रिचर्ड एटनबरो की ऑस्कर विजेता गांधी और अनंत नारायण महादेवन द्वारा निर्देशित द स्टोरीटेलर जैसी फिल्में, जिनका इफ्फी  में 'दिव्यांगजन' खंड में प्रीमियर किया गया था, वे ऑडियो विवरणों और उपशीर्षकों सहित दृश्‍य –श्रव्‍य रूप से सुसज्जित थीं।

हरीश शर्मा 


Thursday, November 24, 2022

Lost is a story based on real life events - Yami Gautam


Lost is a story based on real life events - Yami Gautam 


Lost is not a studio-based film, it’s a story based on real life events. You have to jump into the story, feel every bit of the character, which resonates with our self-experience and the world around us, said Yami Gautam at a “Table Talks” session organized by PIB on the sideline of 53rd edition of International Film festival of India in Goa 

Narrating her experience of portraying the protagonist in the film, Yami said, when such character comes to you, it becomes very challenging to perfrom. “Sometimes we feel less is more and I followed this dictum. I didn’t actually try to portray the character in the film. I was just inside the character as it is,” she added.


She said that sometimes people have such extreme experiences, which are difficult to express in words. “Lost is an investigative thriller, which reflects that intense personal experience”, she flagged.

Director Aniruddha Roy Chowdhury said Lost highlights the issue of media integrity in a practical way.


Briefing more about the character of Yami, Aniruddha said it’s a very intense internal conflict that the character goes through. “In certain roles there are lot of dialogues and elements you need to perform, but this is not just a character, this is a conviction and commitment. You need to watch the film to find the real Yami”, he said,


The film was screened at IFFI today and received very good audience response.

 About the Film

1.Dir: Aniruddha Roy Chowdhury (Dir)

2. Yami Gautam (Actress)

3. Pankaj Kapur (Actor)

4. Tushar Pandey (Actor)

 Synopsis

Inspired by true events, Lost is a story of a bright young woman crime reporter in relentless search for truth behind the sudden disappearance of a young theatre artist. An investigative thriller that represents a higher quest, a search for lost values of empathy and integrity.

Harish Sharma 

 


Kung Fu Panda creator Mark Osborne at IFFI 53 Master Class


Kung Fu Panda creator Mark Osborne at IFFI 53 Master Class

The most remarkable evergreen trend in animation filmmaking is l storytelling, said Mark Osborne, an American filmmaker and animator famous for his films like Kung Fu Panda and The Little Prince. He led a Master Class session on the topic' Animation as a Tool for Expression' on the sidelines of the 53rd International Film Festival of India.

"With the emergence of OTT platforms, creating content for a global audience will be the norm. But at the end of the day, he added that the film needs to connect with the people and touch their hearts ". He further said that for creating such content, finding out what is meaningful to you is essential. "If it is important to you and you are honest about it, you will find your audience. Honesty creates a fresh approach,".

Emphasizing the power of Animation, Mark said that Animation is a diverse and vast medium that can tell any story. Digging deep, he said, "To make somebody feel about something that doesn't even exist is really magnificent. It is the result of a continuous process of rewriting, rebuilding and experimentation. We feel the magic of Animation when you see it come to life eventually."

Mark Osborne also opined that one could not finalize an animation project in script form. "As far as Animation is concerned, the script is not locked. There is always scope for improvisation right to the last moment. It is going to evolve and change. Being a visual medium, we need to allow the visual medium to do a lot of work on the project".

In responding to queries, he said that every animator needs a support system to bring out the stories within them. "Supporting the artists and creators can help miracles happen. A safe space is needed for the artists to create animation".

On a cautious note, aspiring animation makers said that though it is essential to draw inspiration from masters, care should be taken not to imitate their work. "You have to find a balance by exploring your ideas. Every person will have a different perspective and life experience. Therefore, bringing this personal journey and adventure into filmmaking is paramount. Mark Osborne also gave a detailed presentation of his journey in creating the movie The Little Prince by adapting the novel by Antoine de Saint-Exupéry. Prosenjit Ganguly moderated the session.

The Masterclasses and In-Conversation sessions are being organized jointly by Satyajit Ray Film and Television Institute (SRFTI), NFDC, Film and Television Institute of India (FTII), and ESG.

A total of 23 sessions comprising masterclasses and in-conversations are being conducted this year to encourage the students and enthusiasts of cinema in every aspect of filmmaking