इफ़्फ़ी यात्रा 21
20 नवम्बर 21 इफ्फी का पहला दिन मैंने अपनी बेटी और पत्नी मीनाक्षी को inox पणजी भेजा कि देख कर आईये अच्छा लगेगा बेटी ईहा का जन्मदिन भी था 20 को।
साउथ गोआ से नार्थ गोआ जाना अपने आप में आसान नही और वापस आना तो अधिक दिक्कत वाला है। यदि गोआ की दादागिरी टैक्सी से जाओ तो करीब 2.5-3 हज़ार लगते है एक तरफ से, वापसी में टैक्सी मिलेगी कहना कठिन है इसलिये आसान यहीं है जिस टैक्सी से जा रहे है उसी से विनती कर लीजिये भाई 7-8 बजे वापस आना है आ जाना यदि टैक्सी उस समय उस तरफ हुई तो आ ही जाते है।
गोआ आने वालों को टैक्सी और उनके रेट सबसे बड़ा संकट है उन लोगो के लिए ईमानदार सलाह है goa miles app down load कीजिये रेट के हिसाब से यह सबसे सुविधा जनक है।
20 नवंबर को दोनों इन्ही की टैक्सी से गये 1 हज़ार रुपये में। लेकिन कोशिश करने के बाद एक घण्टे बाद यह टैक्सी मिली। बरसात बहुत अधिक थी। जब inox वो venue जहाँ यह iffi समारोह 20 से 28 नवम्बर तक हर वर्ष होता है।
जब वहाँ पहुँचे मुझे फोन किया यहाँ तो कुछ भी नही है। बोर्ड लग रहे है स्टॉल बन रहे है बहुत लोग भी नही है। यहाँ जो कुछ होगा कल यानि 21 से होगा। आज तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में उदघाट्न है। हैम लोग कही बाहर खाना खाने जा रहे उसके बाद उसी टैक्सी को बोल दिया है। 6 बजे आयेगी टैक्सी तो घर आते है। वापसी में 1 घंटे का सफर 3 घण्टे में पूरा हुआ कई जगह रास्ता oneway है बरसात भी बहुत थी सड़क पर जाम लग गया था
अगले दिन 21 नवम्बर को मैंने समारोह में जाने का विचार किया 10 बजे तैयार हो गया था लेकिन टैक्सी मिली 11.30 बजे। उत्तराखंड देहरादून के बड़े अंग्रेजी अखबार गढ़वाल पोस्ट और मेलबॉर्न ऑस्ट्रेलिया के अखबार the South asia time के लिए मैं iffi cover कर रहा हूँ उन्ही के पत्र के कारण मेरा मीडिया का पास बन गया था।
करीब एक घण्टे में inox पहुँचा। उसी टैक्सी से विनती की भाई 7 - 8 बजे मुझे यहीं से ले लेना।
समारोह स्थल के गेट से पहले बाएं हाथ पर एक स्टॉल लगा था जहाँ से मैंने अपना आई कार्ड लिया वहीं पर डेलीगेट के पास भी बन रहे थे यदि आपको एक दिन के लिए आना है तो आपका कार्ड 350 रुपये में बन जायेगा। हालाँकि सिवाय कुछ फोटो अंदर खींचने के अतिरिक्त आपको कुछ हांसिल नही होगा वैसे तो एक डेलीगेट को 4-5 फ़िल्म देखने के टिकट मिल सकते है लेकिन चूँकि टिकट online book करने है तो same day टिकट उपलब्ध ही नही होंगे न online न टिकट खिड़की पर । मीडिया के लिए भी यहीं स्थिति है।
खैर मैं अंदर गया किसी ने मेरा कार्ड नही देखा कार्ड पर कही नही लिखा मेरा कार्ड मीडिया का है। कोड बना है स्कैन करेंगे तो details पता चलेंगी की कार्ड गले में लटकाने वाला कौन है।
एक बैग सभी डेलीगेट और मीडिया को दिया जा रहा है जिसमे एक छोटी सी कितबिया और पेन है। रात जब घर आया तो बेटी ने हंसकर कहा आज के डिजिटल दुनियां में पेन पैड कौन देता है इन्हें iffi लिखा हुआ मास्क देना चाहिए था जो आज की जरूरत है।
पहले भी बैग मिलता रहा है लेकिन सबसे जरूरी चीज मेरे हिसाब से उस बैग में रहती थी एक किताब जिसमें चुनी हुई सभी फिल्मों की निर्माता निर्देशक अभिनेताओं की जानकारी होती थी। निर्माताओं के नम्बर होते थे। अब यह जानकारी नदारद है। ऑनलाइन वो सुविधा उपलब्ध है Iffi app down load कर लीजिये।
मेरे पास भी कोई टिकट नही था मैं कोई फ़िल्म नही देख पाया। पूरा इफ्फी समारोह सजाया बहुत खूबसूरत है फ़ोटो खींचने के लिए खूब मौके है।
गेट से अंदर आने के बाद मैं सीधा उस भवन में गया जहाँ मीडिया रूम होता था सुरक्षा गार्ड ने बताया वो रूम बन्द है ।
फिर मैं inox की तरफ गया अच्छा लगा कुछ गोल टेबिल लगी थी कुर्सी के साथ बैठने की जगह थी। इसको फूड़ कोर्ट का नाम दिया गया है। वहाँ सिर्फ 8 छोटे फ़ूड स्टॉल लगे है। पेट भरने के लिये ठीक है कोई बहुत बड़ा आकर्षण नही है। हाँ बीयर पीने वालों के लिए भी स्टॉल है गोआ में यह जरूरी भी है ऐसा लगता है।
Inox के ठीक सामने खड़ा था जब कुछ हलचल हुई मैंने देखा सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर बाहर निकल रहे है। मैं उनसे कहना चाहता था कि वो फ़ूड कोर्ट, मीडिया रूम भी आये देखे क्या सुविधा है। लेकिन मैं दूर था लेकिन मैं लिख तो सकता ही हूँ।
इतने में मैंने अपने मित्र अतुल गंगवार और विष्णु शर्मा को अपनी तरफ आते देखा। अतुल की iffi ज्यूरी में अच्छी पैठ है। विष्णु पहली बार ज्यूरी सदस्य बने है। अतुल बहुत पतले हो गये है या कहे फिट हो गये है। उन्होंने कहा 1 बजे पैनोरमा ज्यूरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस है। मुझे जाना है । वो चले गये।
विष्णु अपनी पत्नी के साथ पहली बार गोआ आये है तो उनके साथ कॉफी पीने बैठ गये। उन्हें मैंने बताया कि क्या देखें क्या ख़रीदे।
1 बजे हम भी मीडिया रूम पहुंचे पैनोरमा ज्यूरी मंच पर जम चुकी थी। वहाँ पैनोरमा खण्ड के अध्यक्ष फ़िल्म क्षेत्र के बड़े नाम एस वी राजेन्द्र राव व अन्य सदस्य थे। बात बहस चल रही थी जो फिल्में इफ्फी में चुनी जाती है जिन्हें अवार्ड मिलता है उन्हें देखने के लिए प्लेटफॉर्म कहाँ है सिनेमाघरों तक वो फिल्में आती नही कोई चैनल दिखाता नही। राव साहब बोले हम सरकार के माध्यम से दबाब डलवा रहे है कि ott platform हमारी फिल्में वृत्त चित्र लघु फिल्में दिखाए।
मुझे 10 वर्ष पहले की ऐसी ही प्रेस कॉन्फ्रेंस याद आ गई तब भी यहीं बात बहस चल रही थी उससे पहले भी उसके बाद भी और अब आने वाले सालों में भी यह बात बहस चलती रहेगी।
मेरा कहना है यह बहस बैमानी है जब दूरदर्शन या कोई भी सरकारी चैनल इन फिल्मों को नही दिखा सकता तो कोई अन्य चैनल क्यों दिखायेगा। अब यूट्यूब है जहाँ आप अपनी फिल्में दिखा सकते है यदि आपकी फ़िल्म अच्छी है तो यूट्यूब का दर्शक वर्ग बहुत बड़ा है। दूरदर्शन भी राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह और iffi में चुनी हुई फिल्मों लघु फिल्मों और वृत चित्रों को दिखाता था पैसे भी देता था। अब की क्या स्थिति है मुझे पता नही।
इफ्फी में चुनी हुई फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है अच्छी फिल्में वृत चित्र लघु फिल्में बाहर के देश खरीद भी लेते है। लेकिन मेरा मानना है समारोह में चुनी फिल्मों से जो सुकून मिलता है वो अगली लघु या वर्तचित्र फ़िल्म बनाने की तैयारी कराता है।
https://youtu.be/-mVNTtRzF84
जैसे मैने भी एक लघु फ़िल्म निर्मित की थी आखिरी मुनादी वर्ष 2001 में, वो फ़िल्म करीब 10 बड़े फ़िल्म समारोह में चुनी गई थी। अमेरिका के जर्सीशोर फ़िल्म समारोह में चुनी गई थी जिसके चलते हमारा 10 साल का वीजा लगा। हालाँकि हमें उस फिल्म से कोई कमाई नही हुई लेकिन ग्राफिस एड्स जैसी बड़ी विज्ञापन कम्पनी के मुकेश गुप्ता ने हमें उस समय 2 लाख रुपये दिए थे फ़िल्म निर्माण के लिए । शार्ट फ़िल्म जब भी यूट्यूब पर देखता हूँ रोंगटे खड़े हो जाते है गुरुर होता है हमनें इतनी शानदार फ़िल्म बनाई है। मित्र एहसान बख़्श ने एक शानदार फ़िल्म का निर्देशन किया।
खैर आगे बढ़ते है जब हम घूम रहे थे तो विष्णु ने मुझे बताया दिखाया तीन चार लोग एक जगह बैठे बात कर रहे थे मुझे बिल्कुल नही लगा यह लोग फिल्मों से जुड़े हुए होंगे । विष्णु उनसे मिले मुझे मिलाया और बताया कि यह निर्देशक है यह बच्चा और दूसरे व्यक्ति के लिए बोले बहुत अच्छे अभिनेता है इनकी फ़िल्म Koozhangal भारत की तरफ से एकेडमी अवॉर्ड्स के लिए चुनी गई है। मैं आश्चर्य में था फ़ोटो खींचा कर मैं कोने में गया मैंने फ़िल्म के विषय मे पढ़ा वीडियो देखा। वो सरल फ़िल्म है लेकिन विशुद्ध सिनेमा है। मुझे मौका मिलेगा तो इनसे बातचीत आप लोगो के लिए करूँगा।
उसके बाद मीडिया रूम गया मीडिया रूम यानि जहां तमाम मीडिया वाले बैठ कर कम्प्यूटर पर खबरे लेख लिखकर भेजते है लेकिन इस रूम को देखकर अफसोस हुआ दो तीन छोटे कमरों को मीडिया रूम का नाम दे दिया गया है । अब मैं चाय कॉफी तलाशने लगा मैंने देखा एक कोने में एक छोटी सी मशीन थी एक लड़का वहाँ बैठा चाय कॉफी बना रहा है। मैंने काफी बनवाई तब तक एक पत्रकार आये लड़के से बोले चाय दो और बिस्किट का पैकेट दो तब पता चला बिस्किट भी है। तब मुझे पुराना मीडिया रूम और उससे लगा किसी फाइव स्टार होटल का कॉफी रूम याद आया। लेकिन जो भी उपलब्ध रहा होगा वहीं सुविधा दी इफ्फी ने।
मैंने देखा पीआईबी का एस एम एस था 4.30 बजे 75 प्रतिभाशाली चुने हुए प्रतियोगियों में से पाँच के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। मैं उसमे चला गया वहां उन लोगो से बात की । अधिकतर विजेताओं ने बताया कि उन्होंने अपने प्रोजेक्ट मोबाइल से बनाये है खुद ही एडिट की थी। एक युवा शुभम शर्मा जिनके दो प्रोजेक्ट 75 प्रतिभाशाली प्रतियोगिता में चुने गये जिसमें एक मीठा खिलौना और एक म्यूजिक वीडियो के माध्यम से मेरी प्रतिभा को सम्मानित किया गया। उनका मानना है इस अवॉर्ड से जोश बढ़ा है अगले वर्ष मेरे निर्देशन में बने वृत चित्र का चुनाव हो वो iffi में दिखायी जाए इस सपने को इस अवार्ड ने पंख लगाये है।
शुभम शर्मा
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