इफ्फी - अन्तराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह गोआ
इफ्फी यानि इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया जो हर साल गोआ में होता है मैंने इस फ़िल्म समारोह में बतौर पत्रकार 6-7 साल शिरकत की है। 2 साल बतौर डॉक्यूमेंट्री और शार्ट फ़िल्म निर्माता निर्देशक इस समारोह में आया था। दो साल कुछ फिल्मों का प्रचार करने भी गया।
इस फ़िल्म समारोह का अपना ही आकर्षण है जो एक बार आ गया वो हर साल आना चाहता है। चाहे आईनॉक्स और कला भवन में दिखाई जाने वाली देश विदेश की फिल्में हो या एनएफडीसी का तीन दिवसीय जे डब्ल्यू मैरियट में होने वाला समारोह हो दोनो ही विशेष है।
दोनो समारोह में देश विदेश के तमाम सितारें आते रहे है उनसे मिलना उनको सुनना शानदार अनुभव रहा है। हालांकि मुझे पहले शिकायत थी कि एनएफडीसी के समारोह में हर साल निमंत्रित सितारें और पत्रकारो में बदलाव क्यों नही होता । हर साल गिने चुने वहीं फ़िल्म निर्माता निर्देशक सितारें आते है।
कुछ वर्षों के अनुभव के बाद लगा सितारों को बुलाना आसान भी नही है। जो उपलब्ध हो जाते होंगे वही आ पाते होंगे। लेकिन निमंत्रित पत्रकारो में कई तो ऐसे रहे है जिन्हें पत्रकारिता छोड़े हुए भी जमाना हो गया लेकिन गोआ में तीन दिन का सुख उन्हें मुफ्त मिलता है वो भी सपरिवार।
लेकिन उम्मीद है सरकार के बदलाव ने बहुत कुछ बदलाव किए होंगे । इस वर्ष कई सालों के बाद शामिल हो रहा हूँ तो पता चलेगा क्या कुछ बदला है।
एनएफडीसी और इफ्फी समारोह में एक बुनियादी फर्क है वो यह कि इफ्फी सबके लिए है आप और मैं इसमें आसानी से जा सकते है गोआ घूमने आया पर्यटक भी प्रतिदिन मिलने वाला टिकट खरीद कर इसका आनन्द उठा सकता है लेकिन एनएफडीसी में शामिल होना सबके बस की बात नही है तीन दिन की डेलीगेट फीस 5500 से 7000 रुपये है। और इफ्फी की 1180 रुपये 8 दिन के लिये। हाँ विद्यार्थियों के लिए इफ्फी रजिस्ट्रेशन फ्री है वो ऑनलाइन बुकिंग कराकर 4 फिल्मों के टिकट प्रतिदिन पा सकते है।
एनएफडीसी का तीन दिवसीय फ़िल्म बाज़ार 20 से 22 नवम्बर ओर 8 दिन का इफ्फी 20 से 28 नवम्बर तक चलेगा हर साल यही तिथि निश्चित है लेकिन कोविड के चलते पिछले साल का समारोह 2021 के जनवरी में हुआ था। इस बार यह 52वाँ समारोह है।
मीडिया के लिए रजिस्ट्रेशन फ्री है ऑनलाइन कुछ औपचारिकताओं के बाद आपको कार्ड मिल जायेगा। फ़िल्म देखिये दुनियाभर की। मुलाकात कीजिये फ़िल्म सितारों और निर्माता निर्देशको से। पुराने परिचित अपरचित पत्रकारों से । आईनॉक्स हाल के बाहर लगे विभिन्न खाद्य स्टालों से अपनी पसंद का खाना खाइये खिलाइये। किंगफिशर बीयर का स्वाद लीजिये, अब वो स्टाल लगता है या नही मुझे नही पता।
मीडिया के लिये एक हाल में कई कम्प्यूटर की व्यवस्था की जाती है जहाँ से पत्रकार अपनी रिपोर्ट अपने यहाँ भेज सकते है मुझे उम्मीद है कम्प्यूटर की जगह अब लेपटॉप ने ले ली होगी वैसे तो अब फोन ही इतने काबिल है कि उनसे ही आप अपनी स्टोरी भेज सकते है।
वैसे मेरी पसन्दीदा जगह इस समारोह में मीडिया हॉल के बाहर ताज या किसी पंचतारा होटल द्वारा मीडिया के लिए चाय काफी बिस्किट की भरपूर व्यवस्था की जाने वाली रही है। काफी की चुस्कियों के साथ मीडिया मित्रो के साथ गपशप मुलाकाते मज़ेदार रहती है।
एक बात जो मुझे हमेशा प्रभावित करती रही है वो है गोआ के मुख्यमंत्री का इफ्फी में आना वो भी बिना किसी तामझाम के न कोई सुरक्षा न कोई प्रोटोकाल । जब मैं पहली बार गोआ फेस्टिवल में गया तो मैंने उस समय के मुख्यमंत्री दिगंबर कामत को अपने साथ वाली मेज पर अकेले भोजन करते हुए देखा यह मेरे लिए किसी अजूबे से कम नही था । उनको हर साल देखता एक दो बार बात भी हुई लगा हमारे ही बीच का कोई व्यक्ति है।
बाद में सत्ता परिवर्तन हुआ तो लगा उस समय के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर आयेंगे क्या। मेरे लिए सुखद आश्चर्य था मनोहर पर्रिकर तो कामत जी से दो कदम आगे निकले वो साथ ही बैठ जाते खाना उनकी तरफ से ही होता यानि वो अपनी जेब से पैसे निकाल कर देते थे अपने भी साथ बैठे मीडिया के खाने के भी।
उनकी सुरक्षा मुख्य गेट के पास होती थी। उन्होंने गोआ फेस्टिवल में बहुत सुधार किये।
अब देखना यह है कि क्या वर्तमान मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत अन्य मुख्यमंत्रीयो की तरह हम यानि मीडिया का हिस्सा बनते है कि नही।
हरीश शर्मा
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